Wednesday, July 21, 2010

दुनिया की अज़ीम हस्ती माँ - 2

जनाब मुनव्वर राना साहब के चन्द शे'र माँ की शान में, पेशे खिदमत हैं.


मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ

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गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं

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कभी —कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है
शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है

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किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

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ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया

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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

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अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता
परिन्दों के न होने पर शजर अच्छा नहीं लगता


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मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है
सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है

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रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं

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वो मैला—सा बोसीदा—सा आँचल नहीं देखा
बरसों हुए हमने कोई पीपल नहीं देखा

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कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है
जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है

13 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत COLLECTION है.

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  2. बहुत ही खूबसूरत COLLECTION है

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  3. बहुत ही खूबसूरत COLLECTION है

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  4. आपकी पसंद क़ाबिले तारीफ़ है.

    पत्रकारिता से सम्बंधित आप लोग कृपया मेरी ताज़ा पोस्ट पढ़ें. और टिप्पणी दें. शुक्रगुज़ार होऊंगा.

    मीडिया से जुड़े हुए व्यक्तियों का खोजी स्वभाव का होना तो आवश्यक है ही परन्तु इसके साथ यदि उनमें सत्यता, निष्पक्षता तथा निर्भीकता के गुण नहीं हैं तो उसका नतीजा बहुत बुरा निकलता है।

    http://haqnama.blogspot.com/2010/07/muslims-and-media-sharif-khan.html

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  5. मुनव्वर राणा को मंच से भी सुन चुका हूं। अच्छा लिखते हैं।

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  6. बेहद ख़ूबसूरत शेर हैं...पढवाने का शुक्रिया

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  7. आह!बहुत संवेदनशील और भावुक करती पंक्तियां।

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  8. @ rashmi ravija, KUMAR RADHARAMAN

    शुक्रिया

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  9. Munnawar Rana ne maan ki samvednaoon ko bakhoobi pakda hai in panktiyon mein.

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  10. इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
    माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
    दिल को छूती पंक्तियां, प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  11. "किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
    मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई"

    बड़े किस्मत वाले हो भैया !

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