Friday, July 9, 2010

शकील बदायूनी मशहूर ग़ज़ल

आज कुछ पुराने दीवान देख रहा था, उनमे मुझे मरहूम शकील बदायूनी की इक बहुत मशहूर ग़ज़ल मिली. लीजिए आपकी पेशे खिदमत है...

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया

यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

कभी तक़्दीर का मातम कभी दुनिया का गिला
मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का ‘शकील’
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया

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