जनाब मुनव्वर राना साहब के चन्द शे'र माँ की शान में, पेशे खिदमत हैं.
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
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गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं
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कभी —कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है
शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है
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किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
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ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
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अगर स्कूल में बच्चे हों घर अच्छा नहीं लगता
परिन्दों के न होने पर शजर अच्छा नहीं लगता
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मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है
सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है
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रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं
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वो मैला—सा बोसीदा—सा आँचल नहीं देखा
बरसों हुए हमने कोई पीपल नहीं देखा
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कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है
जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है
बहुत ही खूबसूरत COLLECTION है.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत COLLECTION है
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत COLLECTION है
ReplyDeleteआपकी पसंद क़ाबिले तारीफ़ है.
ReplyDeleteपत्रकारिता से सम्बंधित आप लोग कृपया मेरी ताज़ा पोस्ट पढ़ें. और टिप्पणी दें. शुक्रगुज़ार होऊंगा.
मीडिया से जुड़े हुए व्यक्तियों का खोजी स्वभाव का होना तो आवश्यक है ही परन्तु इसके साथ यदि उनमें सत्यता, निष्पक्षता तथा निर्भीकता के गुण नहीं हैं तो उसका नतीजा बहुत बुरा निकलता है।
http://haqnama.blogspot.com/2010/07/muslims-and-media-sharif-khan.html
मुनव्वर राणा को मंच से भी सुन चुका हूं। अच्छा लिखते हैं।
ReplyDelete@ Sharif Khan
ReplyDelete@ yusuf kirmani
SHUKRIYA
बेहद ख़ूबसूरत शेर हैं...पढवाने का शुक्रिया
ReplyDeleteआह!बहुत संवेदनशील और भावुक करती पंक्तियां।
ReplyDelete@ rashmi ravija, KUMAR RADHARAMAN
ReplyDeleteशुक्रिया
Munnawar Rana ne maan ki samvednaoon ko bakhoobi pakda hai in panktiyon mein.
ReplyDeleteइस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
ReplyDeleteमाँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
दिल को छूती पंक्तियां, प्रस्तुति के लिये आभार ।
@ Manish Kumar
ReplyDelete@ SADA
THANKS
"किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
ReplyDeleteमैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई"
बड़े किस्मत वाले हो भैया !