Wednesday, June 2, 2010

जावेद अख़्तर : सबकी पसंद

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आप भी आइए, हम को भी बुलाते रहिए
दोस्‍ती ज़ुर्म नहीं, दोस्‍त बनाते रहिए।

ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्‍म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।

वक्‍त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,
ख्‍वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।

शक्‍ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर, बनाते रहिए।

5 comments:

  1. जावेद अख्तर को पढवाने के लिए शुक्रिया !

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  2. जावेद अख्तर को पढवाने के लिए शुक्रिया !

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  3. आभार जावेद साहब की बेहतरीन गज़ल पढ़वाने का.

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